छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में शुरू हो रहा ग्रीष्मकालीन अवकाश: जरूरी मामलों की होगी सुनवाई, जानिए क्या रहेगा खास

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By informbharat.com

बिलासपुर – भीषण गर्मी ने दस्तक दी है और इसी के साथ न्याय व्यवस्था ने भी गर्मियों की छुट्टियों की घोषणा कर दी है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, बिलासपुर में 12 मई सोमवार से लेकर 6 जून शुक्रवार 2025 तक ग्रीष्मकालीन अवकाश रहेगा। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि अदालतें पूरी तरह बंद रहेंगी। जरूरी और आपातकालीन मामलों की सुनवाई के लिए अवकाशकालीन पीठ (Vacation Bench) सक्रिय रहेगी।

9 जून सोमवार को अदालत पुनः अपने सामान्य कार्यों के साथ खुलेगी और नियमित सुनवाई फिर से शुरू होगी।

आइए जानते हैं इस ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान अदालत में क्या कुछ खास रहेगा, किन मामलों की सुनवाई होगी और वकीलों व पक्षकारों को किन बातों का ध्यान रखना होगा।


क्या पूरी तरह बंद रहेगा हाईकोर्ट? बिल्कुल नहीं!

कई लोगों के मन में यह गलतफहमी होती है कि ‘कोर्ट में छुट्टियाँ’ का मतलब है अदालत पूरी तरह से बंद हो जाती है। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता। ग्रीष्मावकाश के दौरान भी न्यायिक कामकाज चलता रहता है, भले ही वह सीमित रूप से ही क्यों न हो।

अवकाशकालीन पीठ उन मामलों की सुनवाई करती है जिन्हें अदालत द्वारा ‘अत्यावश्यक’ माना गया है — यानी जिन्हें टालना न्याय के साथ अन्याय करने जैसा हो। जैसे-जैसे गर्मी अपने चरम पर पहुँचती है, वैसे-वैसे न्याय प्रणाली थोड़ी ‘ठंडी’ जरूर हो जाती है, पर थमती नहीं।


कौन से मामले सुने जाएंगे छुट्टी के दौरान?

मुख्य न्यायाधीश के निर्देशों के तहत हाईकोर्ट प्रशासन ने जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उनके अनुसार ग्रीष्मावकाश में भी सभी प्रकार के सिविल, आपराधिक एवं रिट याचिकाएं दाखिल की जा सकेंगी।

हालांकि, नियमित सुनवाई की बजाय केवल जरूरी मामलों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, पुराने मामलों की फाइलिंग और सूचीबद्ध करने (लिस्टिंग) की सुविधा भी जारी रहेगी। यह उन वकीलों और याचिकाकर्ताओं के लिए राहत की बात है जो लंबे समय से लंबित मामलों को आगे बढ़ाना चाहते हैं।


क्या होगा अगर कोई जज अवकाशकाल में उपलब्ध नहीं हों?

यह भी एक दिलचस्प प्रावधान है – यदि किसी कारणवश अवकाशकालीन पीठ के किसी माननीय न्यायाधीश को अपना नियत दिवस बदलना हो, तो वे ऐसा कर सकते हैं, बशर्ते उन्हें मुख्य न्यायाधीश की पूर्व स्वीकृति प्राप्त हो। इसके अलावा, वे अपने कार्यदिवस को किसी अन्य न्यायाधीश के साथ आपसी सहमति से बदल सकते हैं।

यह लचीलापन अदालत की कार्यप्रणाली को निर्बाध बनाता है और सुनिश्चित करता है कि कोई भी आपात मामला अनदेखा न हो।


वकीलों और पक्षकारों के लिए क्या है तैयारी का समय?

ग्रीष्मावकाश का एक और बड़ा लाभ यह है कि यह समय वकीलों और याचिकाकर्ताओं को पुराने मामलों की पुनः समीक्षा, रणनीति निर्माण और दस्तावेजों की तैयारी के लिए मिलता है। कोर्ट में जो गति साल के अन्य महीनों में रहती है, उससे अलग यह अवकाशकाल थोड़ा शांत होता है — और यही वह समय होता है जब वकील अपनी रणनीति को फिर से गढ़ते हैं।

साथ ही यह फाइलिंग और ड्राफ्टिंग के लिए भी सबसे उपयुक्त समय माना जाता है।


क्या कहते हैं वरिष्ठ अधिवक्ता?

बिलासपुर हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है,

“ग्रीष्मावकाश हमारे लिए सिर्फ आराम का समय नहीं होता। कई महत्वपूर्ण मामलों की तैयारी इसी समय होती है। अदालत बंद होती है, लेकिन हमारा दिमाग और कलम चलती रहती है।”

वे आगे कहते हैं कि अवकाशकाल में काम का दबाव अपेक्षाकृत कम होने के कारण वकील अधिक व्यवस्थित रूप से केस फाइल कर सकते हैं।


क्या जनता को चिंता करनी चाहिए?

न्यायालय में छुट्टियाँ होती हैं, लेकिन न्याय की प्रक्रिया थमती नहीं। जनता को घबराने की जरूरत नहीं है। अगर आपका मामला अत्यावश्यक है — जैसे ज़मानत, जीवन-मृत्यु से जुड़ा मामला, या मौलिक अधिकारों का हनन — तो अवकाशकालीन पीठ में इसकी सुनवाई निश्चित रूप से की जाएगी।

ऐसे मामलों के लिए आवेदन करते समय जरूरी है कि याचिकाकर्ता यह स्पष्ट रूप से बताएं कि मामला किस तरह से आवश्यक और तत्काल है।


हाईकोर्ट प्रशासन की सक्रियता सराहनीय

हर साल की तरह इस बार भी छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट प्रशासन ने ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान न्याय व्यवस्था को सुव्यवस्थित बनाए रखने के लिए पूर्व योजना और स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं। इससे न केवल कार्य में निरंतरता बनी रहेगी, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी।


तो 12 मई से क्या बदलेगा?

सारांश में कहें तो:

  • 12 मई (सोमवार) से 6 जून (शुक्रवार) तक ग्रीष्मकालीन अवकाश रहेगा।
  • 9 जून (सोमवार) से नियमित अदालतें पुनः प्रारंभ होंगी।
  • इस दौरान सिर्फ जरूरी मामलों की सुनवाई होगी।
  • नए व पुराने सभी प्रकार के सिविल, क्रिमिनल और रिट मामले दाखिल किए जा सकते हैं।
  • न्यायाधीशों को दिन बदलने के लिए मुख्य न्यायाधीश की अनुमति आवश्यक होगी।

न्याय ठहरे नहीं, बस थोड़ा सुस्ताए…

हर व्यवस्था को थोड़ा विराम चाहिए होता है — आत्मनिरीक्षण, तैयारी और पुनर्नवाचार के लिए। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का यह ग्रीष्मकालीन अवकाश भी न्याय की उसी परंपरा का हिस्सा है, जहाँ व्यवस्था तो थोड़ी शांत होती है, लेकिन उसका धड़कता दिल – न्याय का संकल्प कभी नहीं थमता।


क्या आप किसी मामले को ग्रीष्मावकाश के दौरान दायर करना चाहते हैं? या जानना चाहते हैं कि आपकी याचिका किस श्रेणी में आएगी? कमेंट करके पूछिए, हम आपको बताएंगे!

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