आज छत्तीसगढ़ के मुखिया, Vishnu Deo Sai जी का जन्मदिन है। चलिए जीवन के 60 वसंत देख चुके विष्णु देव साय के जीवन के पन्नों को पलटते हैं, उनकी कहानी बताते हैं। जमीन से जुड़ी जड़ों से लेकर सत्ता के शिखर तक पहुंचने का सफर, उनकी राजनीतिक कलाबाजियाँ, दिल जीतने वाले किस्से, सबकुछ जानेंगे। आप तैयार हैं न छत्तीसगढ़ के इस जमीनी नेता की कहानी सुनने के लिए?
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Vishnu Deo Sai : गांव की मिट्टी की खुशबू
1964, फरवरी की हवा, अविभाजित मध्य्प्र्देश के जशपुरांचल का बगिया गांव। एक साधारण किसान परिवार में जन्मे विष्णुदेव की कहानी ग्रामीण परिवेश से ही शुरू होती है। शायद यही वजह है कि आदिवासी कल्याण उनकी रग-रग में बसा हुआ है। गांव के स्कूल से शिक्षा का पहला अक्षर सीखा, फिर कुनकुरी के लोयोला स्कूल ने उन्हें आगे बढ़ाया। राजनीति की पाठशाला ग्राम पंचायत से शुरू हुई, जहां सरपंच बनकर उन्होंने उन्होंने गाँव को बदलते देखा, अपने हाथों से विकास की ईंटें बिछाईं।
Vishnu Deo Sai : पुरखों की राजनैतिक विरासत को संभाला
विष्णु देव साय जी का परिवार लंबे समय से राजनीति से जुड़ा हुआ है। विष्णु देव साय जी के दादाजी अपने समय में मनोनीत विधायक रह चुके थे। उनके एक चाहा भी सांसद एवं केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। पर विष्णु देव साय जी को कोई भी राजनैतिक पद तश्तरी में परोस कर नहीं मिला। उन्होने जमीन पर रहकर राजनीति की और अपनी जड़ों को मजबूत किया और धीरे-धीरे राजनीति में उनका कद बढ़ता चला गया।
Vishnu Deo Sai : सीढ़ी-सीढ़ी चढ़ते कदम
1990 में भाजपा से हाथ मिलाकर विष्णुदेव राजनीति के मैदान में उतरे। विष्णु देव साय जी की प्रतिभा को अवसर देने का श्रेय जशपुर राजपरिवार के तेजस्वी नेता और छ्त्तीसगढ़ में भाजपा को सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाने वाले नेता कुमार दिलीप सिंह जुदेव जी को जाता है। कुनकुरी विधानसभा (तात्कालिन तपकरा विधासभा क्षेत्र) और रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र विशनी देव साय जी की कर्मभूमि बनी। साय जी चार-चार बार रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने और तीन बार उन्होने कुनकुरी से विधायक का चुनाव जीत कर क्षेत्र की सेवा की। कृषि, वन, और परिवहन मंत्री के रूप में, उन्होंने राज्य के विकास में अहम भूमिका निभाई। उनकी नीतियों से खेत हरे हुए, आदिवासी इलाकों में रौशनी हुई और कई पहुँच विहीन गांवों को सड़कें मिली।
सत्ता के साथ ही संगठन को नेतृत्व देने के मामले में भी विष्णु देव साय जी की दक्षता का पार्टी ने खूब उपयोग किया। विष्णु देव साय दो-दो बार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने और भाजपा को जमीनी स्तर पर मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई।
Vishnu Deo Sai : दिल्ली का गलियारा
2014 में लोकसभा चुनावों के बाद नरेंद्र मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने। उन्होने रायगढ़ के आदिवासी सांसद विष्णु देव साय जी को दिल्ली बुलाकर इस्पात राज्य मंत्री का दायित्व सौंपा। विशनी देव साय जी ने नई नीतियों से भारत में इस्पात उद्योग को धार दी और संसद मे छत्तीसगढ़ की आवाज बुलंद करना जारी रखा। इस्पात राज्य मंत्री के रूप में उद्योग जगत में उन्होंने अपनी गहरी छाप छोड़ी।
Vishnu Deo Sai को मिली छत्तीसगढ़ भाजपा की कमान: सूबे का नया सूरज
2020 में छत्तीसगढ़ भाजपा की बागडोर उनके हाथों में आई और फिर 2023 के चुनावों में छत्तीसगढ़ भाजपा ने इतिहास रच दिया। विष्णु देव साय, आदिवासी समाज से आने वाले पहले मुख्यमंत्री के रूप में छत्तीसगढ़ के चौथे सारथी बने।
इस बार चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार थे, पर केंद्र ने विष्णु देव साय जी के नाम पार्ट मुहर लगाई तो उसके पीछे कई वजहें थीं। अपने सहज, सरल और मिलनसार रवैये से विष्णु देव साय जी जनता और पार्टी पदाधिकारियों तो प्रिय हैं ही, विपक्षियों को भी उनके विरोध की वजह नहीं मिल पाती है। कई दशकों से राजनीति के कई शीर्ष पदों पर आसीन होने के बाद भी वो बहुत ही लो प्रोफाइल जीवन जीते हैं और अपनी सादगी के कारण वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भी चहेते हैं।
कुनकुरी विधानसभा से आसान नहीं थी Vishnu Deo Sai की जीत की राह
यूं तो कुंकुरी विधानसभा क्षेत्र लंबे समय से विष्णु देव साय जी की कर्मभूमि रहा है, पर इस बार कुनकुरी का चुनावी रण उतना आसान नहीं लग रहा था। इस बार विष्णु देव साय जी का मुक़ाबला कॉंग्रेस के विधायक यूडी मिंज से था, जिनहोने विधायक रहते हुए अपनी एक खास पहचान बना ली थी।
ईसाई समाज से आने वाले यूडी मिंज को मिशनरी समाज का पूरा समर्थन प्राप्त था, ध्यान देने योग्य बात है की कुनकुरी विधानसभा की लगभग 35 प्रतिशत आबादी ईसाई धर्मावलम्बियों की ही है। स्थानीय स्तर पर अपने मजबूत प्रचार-प्रसार तंत्र, इसाइयों के एकमुश्त वोट और हिन्दू धर्मावलम्बियों को जातिगत आधार पर बांट कर उन्हें उपकृत करने की नीति के कारण यूडी मिंज की दावेदारी बहुत मजबूत दिखाई पड़ती थी। पर विष्णु देव साय इन सभी समीकरणों को ध्वस्त कर कुनकुरी में विजय का परचम लहराने में कामयाब रहे।
अमित शाह ने की बड़ा आदमी बनाने की घोषणा
इस बार के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के पहले भाजपा ने अपने मुख्यमंत्री प्रत्याशी की घोषणा नहीं की थी, जिस वजह से कई नाम चर्चा में थे। विष्णु देव साय जी के नाम की भी दावेदारी तो थी, पर राजनैतिक विश्लेषकों की नजरों में साय जी की दावेदारी को उतना मजबूत नहीं माना जा रहा था। विश्लेषकों का मानना था की अव्वल तो छ्त्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार ही नहीं बन रही है, गाहे बगाहे अगर भाजपा जीत भी गई तो सेहरा एक बार फिर डॉक्टर रमन सिंह जी के सर पर ही सजेगा। चुनाव प्रचार के दौरान जब देश के गृहमंत्री अमित शाह जी कुनकुरी विधानसभा के कंडोरा गाँव पधारे तो उन्होने मंच से पहली बार विष्णु देव साय जी की तरफ इशारा करते हुए जनता से आहवाहन करते हुए कहा – आप इन्हें जिताकर विधायक बनाइये, इन्हें बड़ा आदमी बनाने की ज़िम्मेदारी मेरी। अमित शाह जी के इस भाषण के बाद कम से कुनकुरी की जनता तो ये मान कर ही चल रही थी की भाजपा की सरकार बनी, तो उनकी बगिया का फूल – विष्णु देव साय मुख्यमंत्री जरूर बनेंगे।
राज काज का पहिया: जनता के हित में फैसले
मुख्यमंत्री बनकर विष्णुदेव साय ने कृषि, ग्रामीण विकास, आदिवासी कल्याण और बुनियादी ढांचे पर जोर दिया है। विष्णु देव साय जी का लक्ष्य साफ है – मोदी जी की गारंटियों को पूरा करते हुए छत्तीसगढ़ को नई ऊंचाइयों पर ले जाना।
विष्णु देव साय सरकार के पहले बजट में भी चुनावी वादों को पूरा करने और छत्तीसगढ़ की अधोसंरचना विकास को गति देने की नीयत साफ दिखाई देती है। अपने कार्यकाल के पहले 60 दिनों में विष्णु देव साय जी ने कई बड़े फैसले लिए-
- किसानों को बोनस राशि का भुगतान एवं प्रति एकड़ 21 क्विंटल की दर से धान की खरीदी। किसानों को 2500 रु प्रति क्विंटल की दर से धान का भुगतान
- 50 लाख ग्रामीण परिवारों को निःशुल्क नल कनेक्शन
- लगभग 70 लाख गरीब परिवारों को 5 वर्षों तक निशुल्क राशन
- प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 18 लाख घरों का निर्माण
- प्रति माह 400 यूनिट तक बिजली प्रदाय आधी कीमत पर
- भूमिहीन कृषि मजदूरों को प्रतिवर्ष 10 हजार रु की आर्थिक सहायता
- महतारी वंदन योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रतिमाह 1000 रु का भुगतान
- शासकीय भर्तियों में ऊपरी आयुसीमा में 5 वश की छूट
- युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए छत्तीसगढ़ उद्यम क्रान्ति योजना की शुरुवात
- अयोध्या यात्रा के लिए निशुल्क रामलला दर्शन योजना
- तेंदुपत्ता संग्रहण की दर 4000 प्रति मानक बोरे से बढ़ाकर 5500 रु प्रति मानक बोरा किया गया
- कटघोरा – डोंगरगढ़ रेल लाइन निर्माण के लिए 300 करोड़ रु का प्रावधान
- शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए अटल मॉनिटरिंग पोर्टल की स्थापना
- कोल परिवहन में भ्रष्टाचार रोकने के लिए ऑनलाइन परमिट व्यवस्था लागू
- छत्तीसगढ़ के प्रयाग, राज़िम के वैभव को फिर से स्थापित करने के लिए राजिम कुम्भ (कल्प) का निर्णय
राजनीति के तूफान: Vishnu Deo Sai का उतार-चढ़ाव भरा सफर
विष्णुदेव साय का राजनीतिक जीवन आसान नहीं रहा है। ऐसा भी नहीं है की अपने लंबे राजनैतिक जीवन में विष्णु देव साय जी को हर बार विजयश्री मिली हो। कॉंग्रेस के गढ़ पत्थलगांव विधानसभा सीट पर उन्हें दो-दो बार हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2018 के लोकसभा चुनावों में जब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के सभी सीटिंग सांसदों के टिकट काटने का निर्णय लिया तो विष्णु देव साय जी को भी रायगढ़ लोकसभा सीट पर अपनी दावेदारी छोडनी पड़ी। 2023 के विधानसभा चुनावों के लगभग 1 वर्ष पूर्व विश्व आदिवासी दिवस के दिन विष्णु देव साय जी को छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष का पद भी त्यागना पड़ा था, जिसे विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बनाकर भाजपा को आदिवासी विरोधी साबित करने का प्रयास भी किया था।
गणेश राम भगत और नंदकुमार साय की बगावत का नहीं दिया साथ
राजनैतिक झंझावातों से विष्णु देव साय जी कभी विचलित नहीं हुए। जशपुर जिले के अन्य आदिवासी नेता गणेश राम भगत और नंदकुमार साय ने यदा कदा पार्टी के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका, पर विष्णु देव साय जी ने पार्टी के हर आदेश को शिरोधार्य किया। उन्होने विपक्ष के तीखे सवालों का सामना किया और हर आरोप का डटकर जवाब दिया। राजनीतिक विरोध के बावजूद अपनी साफ सुथरी और ईमानदार छवि के कारण वो पार्टी शीर्ष के चहेते बने रहे।
जमीन से जुड़े किस्से: Vishnu Deo Sai की दिल जीतने वाली दास्तानें
विष्णुदेव साय को सादगी से प्यार है। उनके कई दिलचस्प किस्से हैं, जो उनकी जमीनी जुड़ाव का सबूत हैं।
- सांसद रहते हुए दिल्ली में उनके आवास की पहचान मिनी एम्स की हो गई थी। छ्त्तीसगढ़ से इलाज के लिए दिल्ली जाने वाले लोग पूरे अधिकार भाव से विष्णु देव साय जी के घर पर ठहर सकते थे।
- एक बार ट्रेन में बुजुर्ग को सीट न मिलने पर उन्होंने अपनी सीट दे दी।
- राजनैतिक जीवन में क्रोधित होने का उनका एक ही वाकया सामने आया है, जब किसी सरकारी अधिकारी ने निर्माण कार्यों का हवाला उनके क्षेत्र के अटल चौक को ढहा दिया था।
- पार्टी की एक महिला कार्यकर्ता मंजु भगत के खिलाफ जब तात्कालिन विधायक यूडी मिंज ने अभद्रता की, तो विष्णु देव साय ने उनके समर्थन में थाने का घिराव कर दिया और तब तक नहीं उठे जब तक यूडी मिंज के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कर ली गई।
- विष्णु देव साय जी विधानसभा में भी आम आदमी की भाषा में बात करते हैं, यही वजह है कि जनता उन्हें अपना मानती है।
तो ये है छत्तीसगढ़ के प्रजातंत्र रथ के सारथी, विष्णुदेव साय की अनकही दास्तान। एक गांव के लड़के से मुख्यमंत्री तक का सफर। उम्मीद है ये लेख आपको पसंद आया होगा।